Abhikriya Ki Koti:अभिक्रिया की कोटि किसे कहते हैं? परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर इस विषय से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को अभिक्रिया की कोटि से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों का भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए।
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Abhikriya Ki Koti
अभिक्रिया के वेग समीकरण में सम्मलित अधिकारी स्पीशीज के गुणाको के योगफल को अभिक्रिया की कोटि कहते है |
किसी अभिक्रिया के वेग नियम व्यंजक में प्रयुक्त सांद्रताओं के घातांकों का योग उस अभिक्रिया की कोटि कहलाती है। अभिक्रिया की कोटि 0, 1, 2, 3 अथवा भिन्नात्मक भी हो सकती है। अभिक्रिया की कोटि के शून्य होने का अर्थ है कि अभिक्रिया वेग अभिक्रियकों की सांद्रता पर निर्भर नहीं करता।
A → उत्पाद
तब
dx/dt ∝ [A]¹
dx/dt = k [A]¹
अभिक्रिया की कोटि = 1 , अर्थात् प्रथम कोटि अभिक्रिया
या
अभिक्रिया
m1A + m2B → उत्पाद
तब
dx/dt ∝ [A] m1 × [B] m2
dx/dt = k [A] m1 × [B] m2
अभिक्रिया की कोटि = m1 + m2
अभिक्रिया की कोटि का उदाहरण :
1. H2 + Cl2 → 2 HCl
अभिक्रिया की कोटि = शून्य
2. N2O₅ ⇌ 2 NO2 + ½ O2
अभिक्रिया की कोटि = प्रथम
3. CH3COOC2H5 + NaOH ⇌ CH3COONa + C2H5OH
अभिक्रिया की कोटि = द्वितीय
1. शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए अभिक्रिया के वेग
स्थिराँक का मात्रक सान्द्रण समय KI-¹ अर्थात्
मोल लीटर KI-¹ सेकण्ड KI-¹ होता है ।
2. इस अभिक्रिया के लिए सान्द्रता तथा अभिक्रिया की
दर के बीच ग्राफ खीँचने तर एक सरल रेखा प्राप्त होती है ,
अर्थात अभिक्रिया की दर पदार्थ की सान्द्रता पर निर्भर नहीँ करता है |
x/dt का t के विपरीत आलेख समय अक्ष के समान्तर
एक सरल रेखा होती है ।
3. अभिक्रिया के किसी भी आंशिक परिवर्तन के
पूर्ण होने मेँ लगा समय प्रारम्भिक सान्द्रता ‘a’ के अनुक्रमानुपाती होता है ।
4. शून्य कोटि अभिक्रियाओँ के पूर्ण होने मेँ एक निश्चित समय लगता है ।
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