Avogadro Ka Niyam:एवोगैड्रो के नियम परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर एवोगैड्रो के नियम से सम्बंधित प्रश्न जैसे कि एवोगैड्रो के नियम का महत्व आदि प्रैक्टिकल परीक्षा के दौरान प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को एवोगैड्रो के नियम से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों का भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए.
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Avogadro Ka Niyam
अवोगाद्रो का नियम आदर्श गैसों पर लागू होता है, इसे अवोगाद्रो का सिद्धांत भी कहा जाता है। यह नियम उन्नीसवीं शताब्दी में एक वैज्ञानिक द्वारा प्रतिपादित किया गया था, जिनका नाम अमेडियो अवोगाद्रो (Amedeo Avogadro) था। आवोगाद्रो ने यह नियम सन 1811 में दिया था।
अवोगाद्रो के नियम के अनुसार- एक निश्चित ताप और दाब पर यदि हम किन्ही दो गैसों को समान आयतन में लें, तो उनके अणुओं की संख्या समान होगी।
इसका मतलब यह है कि, अगर हमारे पास दो गुब्बारे हैं, एक में हीलियम से भरा है और दूसरा ऑक्सीजन से भरा है, तथा दोनों गुब्बारों का आयतन, ताप और दाब समान हैं, तो पहले गुब्बारे में हीलियम के अणुओं की संख्या दूसरे गुब्बारे में ऑक्सीजन के अणुओं की संख्या के बराबर होगी।
अवोगाद्रो के नियम का सूत्र क्या होता है?
अवोगाद्रो के नियम को बताने का एक अन्य तरीका यह है कि, नियत ताप और दाब की परिस्थिति में गैस का आयतन मोलों की संख्या के समानुपाती होगा। इसे गणितीय रूप में निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है-
जहाँ:
V गैस का आयतन है,
n गैस की मात्रा है,
k एक नियतांक है।
इसलिए, यदि हम Pressure और Temperature को स्थिर रखते हुए एक कंटेनर में एक निश्चित मात्रा में गैस डालते हैं या निकालते हैं, तो उसका आयतन बदल जाएगा और प्रारंभिक और अंतिम स्थिति निम्नलिखित समीकरण से संबंधित होगी-
यदि गैस दो हो और इनका आयतन क्रमशः V1, V2 है और अणुओं की संख्या क्रमशः n1 व n2 है
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अवोगाद्रो का नियम क्या है?- सूत्र, महत्व व उदाहरण
Home>>Chemistry in Hindi
इस आर्टिकल में आप यह जानेंगे कि अवोगाद्रो का नियम (Avogadro’s Law in Hindi) क्या है? आवोगाद्रो का नियम किसने दिया? इसके साथ ही हम इस नियम के सूत्र, समीकरण और उदाहरण के बारे में भी चर्चा करेंगे-
अवोगाद्रो का नियम क्या है?
अवोगाद्रो का नियम आदर्श गैसों पर लागू होता है, इसे अवोगाद्रो का सिद्धांत भी कहा जाता है। यह नियम उन्नीसवीं शताब्दी में एक वैज्ञानिक द्वारा प्रतिपादित किया गया था, जिनका नाम अमेडियो अवोगाद्रो (Amedeo Avogadro) था। आवोगाद्रो ने यह नियम सन 1811 में दिया था।
अवोगाद्रो के नियम के अनुसार- एक निश्चित ताप और दाब पर यदि हम किन्ही दो गैसों को समान आयतन में लें, तो उनके अणुओं की संख्या समान होगी।
इसका मतलब यह है कि, अगर हमारे पास दो गुब्बारे हैं, एक में हीलियम से भरा है और दूसरा ऑक्सीजन से भरा है, तथा दोनों गुब्बारों का आयतन, ताप और दाब समान हैं, तो पहले गुब्बारे में हीलियम के अणुओं की संख्या दूसरे गुब्बारे में ऑक्सीजन के अणुओं की संख्या के बराबर होगी।
[ यह भी जानिए- हेनरी का नियम क्या है? ]
अवोगाद्रो के नियम का सूत्र क्या होता है?
अवोगाद्रो के नियम को बताने का एक अन्य तरीका यह है कि, नियत ताप और दाब की परिस्थिति में गैस का आयतन मोलों की संख्या के समानुपाती होगा। इसे गणितीय रूप में निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है-
avogadro-ka-niyam
जहाँ:
V गैस का आयतन है,
n गैस की मात्रा है,
k एक नियतांक है।
इसलिए, यदि हम Pressure और Temperature को स्थिर रखते हुए एक कंटेनर में एक निश्चित मात्रा में गैस डालते हैं या निकालते हैं, तो उसका आयतन बदल जाएगा और प्रारंभिक और अंतिम स्थिति निम्नलिखित समीकरण से संबंधित होगी-
avogadro-ka-niyam-sutra
यदि गैस दो हो और इनका आयतन क्रमशः V1, V2 है और अणुओं की संख्या क्रमशः n1 व n2 है तो इनको निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है-
avogadro-ka-niyam-samikaran
[ यह भी जानिए- ब्राउनी गति क्या है? ]
अवोगाद्रो का नियम किन परिस्थितियों में लागू होता है?
यह नियम केवल आदर्श गैसों के लिए लागू होता है। आदर्श गैस एक दुसरे के साथ कोई भी प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। इस प्रकार की गैस वास्तव में नहीं हैं बल्कि इनकी केवल कल्पना की जाती है।
अवोगाद्रो के नियम का महत्व
अवोगाद्रो के नियम का सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह था कि इसने हमें एक से अधिक परमाणुओं द्वारा निर्मित वास्तविक गैसों के अस्तित्व की जानकारी में अहम् भूमिका निभाई, जैसे कि ऑक्सीजन (O2), हाइड्रोजन (H2)।
इसने परमाणु सिद्धांत की प्रगति में योगदान दिया।
इसके अलावा, अवोगाद्रो का नियम बॉयल, चार्ल्स और गे-लुसाक गैस कानूनों का पूरक है, और जब इन तीन नियमों को साथ में जोड़ा जाता है, तो अवोगाद्रो का नियम आदर्श गैस नियम की व्युत्पत्ति की व्याख्या करता है। आदर्श गैस का नियम रसायन विज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण नियमों में से एक है।
दूसरी ओर, अवोगाद्रो का नियम भी विभिन्न गैसों के आणविक भार के बीच संबंध स्थापित करता है, क्योंकि इसका तात्पर्य है कि समान तापमान और दबाव पर मापी गई विभिन्न गैसों के समान आयतन का द्रव्यमान प्रत्येक गैस के प्रत्येक कण के द्रव्यमान के समानुपाती होता है।
अतः समान ताप और दाब पर समान आयतन ग्रहण करने वाली दो गैसों के नमूनों को तौलकर ही उनके मोलर द्रव्यमान (molar mass) के बीच संबंध प्राप्त किया जा सकता है।
- ऊर्जा संरक्षण के नियम – Urja Sanrakshan Ka Niyam
- हैलोफार्म अभिक्रिया किसे कहते हैं? – Hello Farm Abhikriya
आर्टिकल में आपने एवोगैड्रो का नियम को पढ़ा। हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।