Dravyaman Sanrakshan Ka Niyam:द्रव्यमान संरक्षण का नियम परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर द्रव्यमान संरक्षण के नियम से सम्बंधित प्रश्न जैसे कि द्रव्यमान संरक्षण के नियम के सीमाएं, उपयोग आदि प्रैक्टिकल परीक्षा के दौरान प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को द्रव्यमान संरक्षण के नियम से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों का भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए.
Table of Contents
Dravyaman Sanrakshan Ka Niyam
द्रव्यमान के संरक्षण का नियम कहता है कि रासायनिक प्रतिक्रिया में पदार्थ को बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जब लकड़ी जलती है, तो कालिख, राख और गैसों का द्रव्यमान चारकोल के मूल द्रव्यमान और पहली बार प्रतिक्रिया करने पर ऑक्सीजन के बराबर होता है। तो उत्पाद का द्रव्यमान अभिकारक के द्रव्यमान के बराबर होता है।
द्रव्यमान ऊर्जा संरक्षण
आइंस्टीन का सबसे प्रसिद्ध समीकरण E = mc^2 बताता है कि द्रव्यमान तथा ऊर्जा एक दूसरे में बदले जाने के योग्य हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि द्रव्यमान तथा ऊर्जा मिलकर संरक्षित रहते हैं, केवल द्रव्यमान नहीं।
द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित हो सकता है। परंतु यह तथ्य तभी महत्वपूर्ण है जब हम रेडियोधर्मी प्रतिक्रियाओं (radioactive reactions) के साथ काम कर रहे हों।
अन्य प्रतिक्रियाएँ जैसे रसायनिक प्रतिक्रियाओं में भी द्रव्यमान ऊर्जा में परिवतिर्त हो व्यवस्था से बाहर चला जाता है। पर उस कारण द्रव्यमान (mass) में ना के बराबर परिवर्तन आता है और इसलिए हम उसे नज़रअंदाज़ करते हैं।
हालांकि रेडियोधर्मी प्रतिक्रियाओं में ऊर्जा की मात्रा अत्यंत विशाल होती है और इसीलिए इस कारण होने वाली द्रव्यमान में कमी या वृद्धि को भी गणना में सम्मिलित किया जाता है।
द्रव्यमान संरक्षण का नियम किसके द्वारा दिया था?
अन्टोइनै लावोइसिर का मानना था कि समस्त ब्रह्मांड का द्रव्य (matter) हमेशा स्थिर (constant) रहता है। समय के साथ इसमे परिवर्तन आए और कहा गया कि बंद व्यवस्था में द्रव्यमान संरक्षित रहता है।
किन्तु ये दोनो ही कथन मात्र क्लासिकल मैकेनिक्स का समर्थन करते हैं। अल्बर्ट आइंस्टीन ने तब एक नया सिद्धांत सबके समक्ष रखा, जो क्वांटम मैकेनिक्स, तथा सामान्य सापेक्षता (जनरल रिलेटिविटी) दोनो से सहमति दर्शाता है।
रसायन विज्ञान में द्रव्यमान संरक्षण सिद्धांत का महत्व
इस सिद्धांत के कारण ही आज रसायन विज्ञान इन ऊंचाइयों तक पहुँच पाया है तथा इतना विश्वसनीय भी है। यदि किसी तत्व का 1 मोल प्रयोग किया जा रहा है, तो प्रतिक्रिया होनेके बाद भी वह 1 मोल ही रहेगा।
इससे वैज्ञानिक अनुमान लगा सकते हैं कि प्रतिक्रिया के पश्चात कितने उत्पाद (products) बनेंगे। इसी प्रकार किसी प्रतिक्रिया की दक्षता में वृद्धि लाने के लिए भी इस सिद्धान्त का प्रयोग किया जा सकता है।
- जड़त्व का नियम – Jadatv Ka Niyam
- चार्ल्स के नियम – Charles Ka Niyam
- गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम – Gurutvakarshan Ka Sarvatrik Niyam
आर्टिकल में आपने द्रव्यमान संरक्षण के नियम को पढ़ा। हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।