Gurutvakarshan Ka Sarvatrik Niyam:गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम से सम्बंधित प्रश्न जैसे कि गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व आदि प्रैक्टिकल परीक्षा के दौरान प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों का भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए.
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Gurutvakarshan Ka Sarvatrik Niyam
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम न्यूटन ने दिया था। इटली के वैज्ञानिक, गैलिलीयो गैलिलीआई ने सर्वप्रथम इस तथ्य पर प्रकाश डाला था कि कोई भी पिंड जब ऊपर से गिरता है तब वह एक नियत त्वरण से पृथ्वी की ओर आता है। त्वरण का यह मान सभी वस्तुओं के लिए एक सा रहता है। अपने इस निष्कर्ष की पुष्टि उसने प्रयोगों और गणितीय विवेचनों द्वारा की है। इसके बाद सर आइज़क न्यूटन ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहा जाता है। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित उपर्युक्त नियम को न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम (Law of Gravitation) कहते हैं।
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के महत्व:
(i) गुरुत्वाकर्षण का नियम पृथ्वी का सही-सही द्रव्यमान ज्ञात करने में सहायता करता है।
(ii) गुरुत्वाकर्षण का नियम का उपयोग सूर्य, चन्द्रमा और ग्रहों के द्रव्यमान ज्ञात करने में किया जाता है।
(iii) गुरुत्वाकर्षण का प्रमुख अनुप्रयोग युग्मतारों (double stars) के द्रव्यमानों का आंकलन करता है।
(iv) गुरुत्वकर्षण का नियम नए तारों तथा ग्रहों की खोज करने में सहायता करता है।
युग्म-तारा, उनके द्रव्यमान केंद्र के सामान्य केंद्र के चारों ओर परिक्रमा करते हुए तारों का युग्म (pair of stars) होता है। तारे की गति में अनियमितता (अथवा परिवर्तनशीलता) अस्थिरता या डगमगाहट (wobbling) कहलाती है और तारा स्वयं डांवाडोल या अस्थिर (wobble) कहलाता है।
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