Kaplar Ka Niyam:केप्लर के नियम परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर केप्लर के नियम से सम्बंधित प्रश्न जैसे कि केप्लर के नियम का महत्व आदि प्रैक्टिकल परीक्षा के दौरान प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को केप्लर के नियम से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों का भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए.
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Kaplar Ka Niyam
ग्रहों की गति के नियम : जोहान्स केप्लर जर्मनी के महान खगोलिक वैज्ञानिक थे। सौलवही शताब्दी में डेनिश के खगोल वैज्ञानिक टाइको ब्रेह द्वारा कई प्रेक्षण दिए गए थे , केप्लर ने टाइको ब्रेह के इन सभी प्रयोगों , प्रेक्षणों का बहुत ध्यान से अध्ययन किया और इस अध्ययन के आधार पर उन्होंने ग्रहों की गति से सम्बंधित तीन अपने नियम दिए।
इन नियमों के आधार पर यह बताया जा सकता है सौर मण्डल में ग्रहों की गति किस प्रकार की होती है। केप्लर ने प्रथम दो नियम 1609 में दिए तथा तीसरा नियम लगभग 1618 में दिया था। हालाँकि ये तीनो नियम केप्लर ने दिए और हम इन्हें केपलर के नियमों से ही जानते है लेकिन केप्लर इन नियमो को कभी भी एक विशेष श्रेय खुद को नहीं दिया और इन नियमों को इनकी अन्य खोजो से अलग रखा। आइयें हम इन तीनों ग्रहों की गति के नियमों को अध्ययन करते है अर्थात केप्लर के नियमों का अध्ययन करते है। टाइको ब्रेह के खगोलीय प्रेक्षणों के आधार पर केप्लर ने सूर्य की परिक्रमा करने वाले ग्रहों की गति के सम्बन्ध में निम्नलिखित तीन नियम प्रतिपादित किए थे , जिन्हें ग्रहों की गति के केप्लर के नियम(Kepler’s law) कहा जाता है।
केप्लर का पहला नियम(Kepler’s first law) :-
यह नियम ग्रहों द्वारा चली गई कक्षाओं(orbits) के बारे में जानकारी देता है। इस नियम के अनुसार ” प्रत्येक ग्रह सूर्य के परित दीर्घवृताकार (Elliptical) पथ पर गति करता है, तथा सूर्य उस दीर्घवृत्त के किसी एक फोकस पर होता है।”
केप्लर का दूसरा नियम(kepler’s second law) :-
इस नियम के अनुसार किसी ग्रह के कक्षिय तल में ग्रह तथा सूर्य को मिलाने वाली रेखा समान समयांतराल में समान क्षेत्रफल तय करती है। अर्थात ग्रह तथा सूर्य को मिलाने वाली रेखा की क्षेत्रफलिय चाल नियत रहती है। चित्र में प्रदर्शित कोई ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हुवे एक निश्चित समयांतराल में अपनी कक्षा के बिंदु P1 से बिंदु P2 तक जाता है। तथा उतने ही समयांतराल में कक्षा के बिंदु P3 से P 4 तक जाता है, तब इस नियम के अनुसार
क्षेत्रफल P1SP2 = क्षेत्रफल P3SP4
इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि अपनी कक्षा में ग्रह की चाल निरन्तर बदलती रहती है। तथा जब ग्रह सूर्य से दूरस्थ होता है तो उसकी चाल न्यूनतम तथा जब सूर्य के समीपस्थ होता है तो ग्रह की चाल अधिकतम होती है।
केप्लर का तीसरा नियम (Kepler’s 3rd law) :-
सूर्य के चारों ओर किसी ग्रह द्वारा एक चक्कर पूरा करने में लगा समय अर्थात ग्रह का सूर्य के परित परिक्रमण काल, T का वर्ग, उसकी दीर्घवृताकार कक्षा के अर्द्ध- दीर्घ अक्ष a, की तृतीय घात के अनुक्रमनूपाती होता है।
अर्थात T2 ∝ a3
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