Newland Ka Ashtak Niyam:न्यूलैण्ड का अष्टक नियम परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर न्यूलैण्ड का अष्टक नियम से सम्बंधित प्रश्न जैसे कि न्यूलैण्ड का अष्टक नियम का महत्व आदि प्रैक्टिकल परीक्षा के दौरान प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को न्यूलैण्ड का अष्टक नियम से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों का भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए.
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Newland Ka Ashtak Niyam
डॉबेराइनर के प्रयासों ने अन्य रसायनविज्ञों को तत्वों के गुणधर्मों का उनके परमाणु द्रव्यमान के साथ संबंध स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया ।
सन् 1866 में अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन न्यूलैंड्स ने ज्ञात तत्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया ,उन्होंने सबसे कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्व हाइड्रोजन से आरंभ किया तथा 56 वें तत्व थोरियम पर इसे समाप्त किया उन्होंने पाया कि प्रत्येक आठवे तत्व का गुणधर्म पहले तत्व के गुणधर्म के समान है उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की और उन्होंने इसे अष्टक सिद्धांत कहा।
न्यूलैण्ड का अष्टक नियम :– जब तत्वों को उनके बढ़ते भार के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं । जैसे-संगीत में आठवाँ स्वर पहले स्वर से मिलता है ।इस सिद्धांत के अनुसार परमाणुओं के मध्य रासायनिक संयोग का कारण परमाणुओं द्वारा इलेक्ट्रोन को खोकर ,प्राप्त करके या साझा करके निकटतम उत्कृष्ट गैस का स्थाई इलेक्ट्रोनिक विन्यास प्राप्त करने की प्रवृति हैं | उत्कृष्ट गैसों के परमाणु सर्वाधिक स्थाई माने जाते हैं क्योंकि ये आसानी से क्रिया नही करते हैं इस आसामान्य स्थायित्व का कारण इनके बाह्य स्तर में 8 इलेक्ट्रोन का s2p6 विन्यास हैं |
उत्कृष्ट गैसों में 8 इलेक्ट्रोनो या इलेक्ट्रोनो के अष्टक का विन्यास स्थाई होता हैं | उसी प्रकार जब अन्य तत्व के परमाणु परस्पर संयुक्त होकर अनु बनाते है तब इनके बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रोन इस प्रकार व्यवस्थित होते हैं की वे इलेक्ट्रोनो का अष्टक प्राप्त कर सके | अतः परमाणुओं के मध्य रासायनिक बंध स्थापित हो जाता हैं | परमाणुओं के बाह्य कोश में 8 इलेक्ट्रोनो के रखने के प्रवृति अष्टक नियम या आठ का नियम कहलाती हैं |
न्यूलैण्ड के अष्टक नियम की सीमाएँ :-
(i) अष्टक का सिद्धांत केवल कैल्सियम तक ही लागू होता था, क्योंकि कैल्सियम के बाद प्रत्येक आठवें तत्व गए गुणधर्म पहले तत्व से नहीं मिलता।
(ii) न्यूलैंड्स ने कल्पना की थी कि प्रकृति में केवल 56 तत्व विद्यमान हैं और भविष्य में कोई अन्य तत्व नहीं मिलेगा।
(iii) अपनी सारणी में तत्वों को समंजित करने के लिए न्यूलैंड्स ने दो तत्वों को एक साथ रख दिया था और कुछ असमान तत्वों को एक स्थान में रख दिया था जैसे कोबाल्ट तथा निकैल एक साथ में हैं। इन्हें एक साथ उसी स्तंभ में रखा गया है जिसमें फ्लुओरीन, क्लोरीन एवं ब्रोमीन हैं चाहे इनके गुणधर्म उन तत्वों से भिन्न हैं। आयरन को कोबाल्ट और निकैल से दूर रखा गया है जबकि उनके गुणधर्मों में समानता होती है।
(iv) न्यूलैंड्स अष्टक सिद्धांत केवल हल्के तत्वों के लिए ठीक से लागू हो पाया है।
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