Utkramniya Abhikriya:उत्क्रमणीय अभिक्रिया किसे कहते हैं? परीक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण टॉपिक है. अक्सर इस विषय से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है. अतः परीक्षार्थियों को उत्क्रमणीय अभिक्रिया से जुड़े सभी सम्बंधित प्रश्नों का भलीभांति तैयार कर लेना चाहिए
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Utkramniya Abhikriya
उत्क्रमणीय अभिक्रिया रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें अग्रक्रिया से उत्पन्न उत्पाद पुनः अभिक्रिया करके वही उत्पाद बनाते हैं जो अग्रक्रिया के लिये अभिकारक हैं। अर्थात अग्रक्रिया के उत्पाद ही पश्चक्रिया के अभिकारक होते हैं तथा अग्रक्रिया के अभिकारक ही पश्चक्रिया के लिये उत्पाद होते हैं।
उत्क्रमणीय प्रक्रम
वह प्रक्रम जो विपरीत परिस्थितियों में ठीक उसी अवस्थाओं में संपन्न किया जा सकता है जिन अवस्थाओं में सीधे क्रम में संपन्न किया जा सकता है। इस प्रकार के प्रक्रम को उत्क्रमणीय प्रक्रम (reversible process in Hindi) कहते हैं।
सरल भाषा में कहें तो, किसी वस्तु को उष्मा देने पर उससे कार्य प्राप्त होता है यदि हम उस वस्तु पर कार्य करें, तो ऊष्मा उत्पन्न होने चाहिए।
अर्थात् किसी निकाय को Q उष्मा दी जाए तथा उससे W कार्य प्राप्त होता है यदि निकाय पर W कार्य किया जाए तो उससे Q ऊष्मा प्राप्त होनी चाहिए।
अतः यह प्रक्रम सीधी अवस्थाओं में भी वही कार्य करता है जो विपरीत अवस्थाओं में संपन्न करता है।
उत्क्रमणीय प्रक्रम को संपन्न करने की कुछ शर्ते हैं-
(1) क्षयकारी बल अनुपस्थित होने चाहिए।
अर्थात घर्षण बल, श्यानता, अप्रत्यास्थता विद्युत प्रतिरोध आदि पूर्ण रूप से उपस्थित नहीं होने चाहिए। इनकी उपस्थिति के कारण प्रक्रम उत्क्रमणीय नहीं बनता है यह क्षयकारी बल प्रक्रम को अनुत्क्रमणीय बनाते हैं। अतः प्रक्रम के उत्क्रमणीय होने के लिए क्षयकारी बल पूर्ण रूप से अनुपस्थित होने चाहिए।
(2) प्रक्रम बाह्य परिवेश के साथ यांत्रिक, ऊष्मीय साम्य में रहना चाहिए।
उत्क्रमणीय प्रक्रम कि यह शर्तें कभी पूरी नहीं होती हैं अर्थात् उत्क्रमणीय प्रक्रम एक आदर्श प्रक्रम है।
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